हरितालिका तीज, हिंदू धर्म में मनाए जाने वाले प्रमुख व्रतों में से एक है। यह व्रत विशेष रूप से महिलाओं द्वारा किया जाता है और भगवान शिव और माता पार्वती को समर्पित होता है। हरितालिका तीज 2024 में 6 सितंबर को मनाई जाएगी, जो शुक्ल पक्ष की तृतीया तिथि के दिन आती है। यह पर्व विशेष रूप से उत्तर भारत, खासकर बिहार, उत्तर प्रदेश, राजस्थान और मध्य प्रदेश में बड़े धूमधाम से मनाया जाता है।
हरितालिका तीज का महत्व
हरितालिका तीज का नाम दो शब्दों से मिलकर बना है - 'हरित' जिसका अर्थ है 'हरना' या 'अपहरण करना' और 'आलिका' जिसका अर्थ है 'सखी' या 'मित्र'। इस व्रत की कथा के अनुसार, माता पार्वती को उनके पिता हिमालय ने भगवान विष्णु से विवाह करने का प्रस्ताव दिया था, लेकिन माता पार्वती भगवान शिव को ही अपना पति मान चुकी थीं। अपनी सखी के साथ मिलकर माता पार्वती ने खुद का अपहरण करवाया और जंगल में जाकर भगवान शिव की तपस्या की। उनकी कठिन तपस्या से प्रसन्न होकर भगवान शिव ने उन्हें अपनी पत्नी के रूप में स्वीकार किया। इसी कथा के आधार पर इस व्रत का नाम हरितालिका तीज पड़ा।
इस व्रत का मुख्य उद्देश्य महिलाओं द्वारा अपने पति की लंबी उम्र, सुखी वैवाहिक जीवन और परिवार की समृद्धि के लिए भगवान शिव और माता पार्वती की पूजा करना होता है। अविवाहित कन्याएं भी इस व्रत को करती हैं ताकि उन्हें अच्छे वर की प्राप्ति हो।
व्रत और पूजा विधि
हरितालिका तीज का व्रत बहुत ही कठिन माना जाता है। इसमें महिलाएं निर्जला व्रत रखती हैं, यानी बिना पानी पिए पूरे दिन और रात को उपवास करती हैं। यह व्रत केवल सूर्योदय के बाद शुरू होता है और अगले दिन सूर्योदय के बाद समाप्त होता है।
1.व्रत की तैयारी: व्रत से एक दिन पहले महिलाएं स्नान कर साफ-सुथरे कपड़े पहनती हैं और अपने घर को साफ करती हैं। पूजा की तैयारी के लिए महिलाएं शिव-पार्वती की मूर्तियों या चित्रों को स्थापित करती हैं।
2. पूजा विधि: हरितालिका तीज के दिन महिलाएं सुबह जल्दी उठकर स्नान करती हैं और भगवान शिव, माता पार्वती और भगवान गणेश की पूजा करती हैं। पूजा में जल, फल, फूल, धूप, दीप, नैवेद्य, और बेलपत्र का विशेष महत्व होता है। इसके बाद महिलाएं कथा सुनती हैं, जिसमें हरितालिका तीज की कथा का वर्णन होता है।
3. कथा वाचन: पूजा के दौरान हरितालिका तीज की कथा का वाचन किया जाता है। इस कथा में माता पार्वती की तपस्या, भगवान शिव का वरदान, और उनके विवाह की कथा सुनाई जाती है। इस कथा को सुनने से व्रतधारी का मनोबल बढ़ता है और वे अपनी श्रद्धा और विश्वास को मजबूत करते हैं।
4. रात्रि जागरण: हरितालिका तीज के व्रत में महिलाएं पूरी रात जागरण करती हैं। इस दौरान वे भजन-कीर्तन करती हैं और भगवान शिव और माता पार्वती की आराधना करती हैं। यह माना जाता है कि इस रात्रि जागरण से व्रतधारी को विशेष पुण्य प्राप्त होता है।
हरितालिका तीज का आध्यात्मिक और सामाजिक महत्व
हरितालिका तीज केवल व्रत और पूजा का दिन नहीं है, बल्कि यह महिलाओं के जीवन में उनके समर्पण, श्रद्धा, और आस्था का प्रतीक भी है। यह व्रत महिलाओं को मानसिक और शारीरिक दृढ़ता प्रदान करता है। व्रत के माध्यम से महिलाएं अपने पति और परिवार के लिए अपने प्रेम और समर्पण को व्यक्त करती हैं।
समाज में हरितालिका तीज का एक और महत्वपूर्ण पहलू यह है कि यह पर्व महिलाओं को एकजुट करता है। इस दिन महिलाएं एक-दूसरे के घर जाती हैं, मिलती-जुलती हैं, और अपने अनुभवों को साझा करती हैं। यह पर्व सामूहिकता और सामाजिक एकता का संदेश भी देता है।
उपसंहार
हरितालिका तीज 2024 में 6 सितंबर को मनाई जाएगी और यह दिन महिलाओं के लिए विशेष होगा। यह पर्व उन्हें अपने पति और परिवार के प्रति अपने कर्तव्यों और समर्पण की याद दिलाता है। हरितालिका तीज का व्रत न केवल धार्मिक और आध्यात्मिक दृष्टि से महत्वपूर्ण है, बल्कि यह महिलाओं के जीवन में अनुशासन, आत्मसंयम, और श्रद्धा का भी प्रतीक है।
इस पवित्र दिन पर भगवान शिव और माता पार्वती की पूजा करते हुए, व्रतधारी महिलाएं अपने परिवार की खुशहाली, अपने पति की लंबी उम्र और सुख-समृद्धि की कामना करती हैं। हरितालिका तीज के इस महापर्व को श्रद्धा और समर्पण के साथ मनाकर महिलाएं अपने जीवन में सकारात्मक ऊर्जा का संचार करती हैं।
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