गणेश चतुर्थी, जिसे विनायक चतुर्थी भी कहा जाता है, हिंदू धर्म में अत्यधिक श्रद्धा और उल्लास के साथ मनाया जाने वाला एक प्रमुख पर्व है। इस दिन भगवान गणेश, जिन्हें विघ्नहर्ता और बुद्धि-विवेक के देवता माना जाता है, का जन्मोत्सव मनाया जाता है। गणेश चतुर्थी 2024 में 7 सितंबर को मनाई जाएगी। इस लेख में, हम गणेश चतुर्थी के ज्योतिषीय महत्व और इस पर्व के दौरान किए जाने वाले विशेष उपायों के बारे में चर्चा करेंगे।
गणेश चतुर्थी का ज्योतिषीय महत्व
भगवान गणेश को प्रथम पूज्य देवता माना जाता है। किसी भी शुभ कार्य की शुरुआत उनसे आशीर्वाद लेकर ही की जाती है। ज्योतिष में भगवान गणेश को 'केतु' ग्रह का कारक माना गया है। केतु ग्रह का संबंध बाधाओं, अचानक घटनाओं, और आध्यात्मिक उन्नति से है। गणेश चतुर्थी के दिन भगवान गणेश की पूजा करने से केतु ग्रह के अशुभ प्रभावों से मुक्ति मिलती है और जीवन में आने वाली बाधाओं का निवारण होता है।
इसके अलावा, गणेश चतुर्थी का दिन चंद्रमा और बुध ग्रह के लिए भी महत्वपूर्ण माना जाता है। बुध ग्रह का संबंध बुद्धि, तर्कशक्ति और व्यापारिक उन्नति से है, जबकि चंद्रमा मन और मानसिक शांति का प्रतिनिधित्व करता है। इस दिन भगवान गणेश की आराधना करने से चंद्रमा और बुध ग्रह के शुभ प्रभाव बढ़ते हैं, जिससे मन की शांति, मानसिक स्थिरता, और व्यापार में उन्नति होती है।
गणेश चतुर्थी पर किए जाने वाले ज्योतिषीय उपाय
1. गणेश मंत्र का जाप: गणेश चतुर्थी के दिन "ॐ गं गणपतये नमः" मंत्र का 108 बार जाप करना अत्यधिक शुभ फलदायी होता है। इस मंत्र का जाप करने से बाधाओं का निवारण होता है और मनोकामनाएं पूर्ण होती हैं।
2. दुर्वा अर्पण: गणेश चतुर्थी के दिन भगवान गणेश को 21 दुर्वा (घास) की पत्तियों का अर्पण करना चाहिए। इसे भगवान गणेश अत्यधिक प्रिय मानते हैं। इससे ग्रहों के दोष दूर होते हैं और घर में सुख-शांति बनी रहती है।
3. मोदक का भोग: गणेश जी को मोदक का भोग लगाना अत्यधिक शुभ माना जाता है। यह उन्हें अत्यंत प्रिय है और इससे जीवन में मिठास, सुख, और समृद्धि आती है।
4. लाल कपड़े का दान: गणेश चतुर्थी के दिन लाल कपड़े का दान करने से मंगल ग्रह की कृपा प्राप्त होती है और जीवन में उत्साह और ऊर्जा का संचार होता है।
5. केतु ग्रह की शांति: जिनकी कुंडली में केतु ग्रह के अशुभ प्रभाव हैं, उन्हें इस दिन विशेष रूप से भगवान गणेश की आराधना करनी चाहिए। इसके साथ ही केतु के मंत्र "ॐ कें केतवे नमः" का जाप करना भी लाभकारी होता है।
गणेश चतुर्थी 2024 का महत्व
गणेश चतुर्थी का पर्व सामाजिक और सांस्कृतिक दृष्टि से भी अत्यंत महत्वपूर्ण है। यह पर्व 10 दिनों तक चलता है, जिसमें लोग गणपति बप्पा की मूर्ति को अपने घरों और सार्वजनिक स्थानों पर स्थापित करते हैं। पूरे भारत में, विशेष रूप से महाराष्ट्र, कर्नाटक, गुजरात और आंध्र प्रदेश में यह पर्व बड़े धूमधाम से मनाया जाता है। गणेश चतुर्थी का पर्व न केवल आध्यात्मिक उन्नति का समय है, बल्कि यह सामाजिक एकता और भाईचारे का भी प्रतीक है।
गणेश चतुर्थी के दौरान घर में गणेश जी की स्थापना और विसर्जन
गणेश चतुर्थी के दिन घर में गणेश जी की मूर्ति की स्थापना करना अत्यंत शुभ माना जाता है। इस दौरान मूर्ति स्थापना की शुभ मुहूर्त का ध्यान रखना चाहिए। गणेश जी की स्थापना के बाद, 10 दिनों तक उनकी पूजा, आरती, और भजन-कीर्तन किया जाता है। दसवें दिन, गणपति बप्पा की मूर्ति का विसर्जन किया जाता है, जिसे 'अनंत चतुर्दशी' कहा जाता है। विसर्जन के दौरान गणपति बप्पा से अगले वर्ष पुनः आगमन की प्रार्थना की जाती है।
निष्कर्ष
गणेश चतुर्थी 2024 का पर्व केवल धार्मिक दृष्टिकोण से महत्वपूर्ण नहीं है, बल्कि यह हमारे जीवन में मानसिक शांति, बाधाओं से मुक्ति, और समृद्धि लाने वाला भी है। इस दिन भगवान गणेश की आराधना करने से जीवन में सुख, शांति और समृद्धि का आगमन होता है। ज्योतिषीय दृष्टि से, यह पर्व विशेष रूप से केतु, बुध और चंद्रमा ग्रह के शुभ प्रभावों को बढ़ाने के लिए अत्यंत महत्वपूर्ण है। अतः इस दिन पूरी श्रद्धा और विश्वास के साथ गणपति बप्पा की पूजा-अर्चना करनी चाहिए और उनके आशीर्वाद से अपने जीवन को मंगलमय बनाना चाहिए।
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