करवा चौथ, हिंदू धर्म में मनाए जाने वाले प्रमुख त्योहारों में से एक है, जो खासतौर पर विवाहित महिलाओं द्वारा अपने पति की लंबी उम्र और समृद्धि के लिए मनाया जाता है। इस पर्व का महत्व पूरे भारत में बहुत अधिक है, और इसे हर साल बड़े धूमधाम से मनाया जाता है। साल 2024 में करवा चौथ का व्रत 20 अक्टूबर को रखा जाएगा, और इस दिन व्रत के साथ-साथ करवा चौथ की पूजा का विशेष महत्व होगा।
करवा चौथ का व्रत और महत्व
करवा चौथ व्रत मुख्य रूप से उत्तर भारत के राज्यों जैसे पंजाब, उत्तर प्रदेश, हरियाणा, राजस्थान और दिल्ली में अधिक धूमधाम से मनाया जाता है। इस दिन विवाहित महिलाएं दिन भर निर्जल और निराहार व्रत रखती हैं। व्रत की शुरुआत सुबह सूर्योदय से पहले 'सरगी' खाने से होती है, जिसे सास अपनी बहुओं को देती हैं। सरगी में फल, मिठाई, और अन्य पोषक खाद्य पदार्थ शामिल होते हैं, ताकि पूरे दिन बिना जल और अन्न के व्रत रखने वाली महिलाएं ऊर्जावान बनी रहें।
इस दिन महिलाएं सोलह श्रृंगार करती हैं और अपने पति की लंबी उम्र के लिए कामना करती हैं। व्रत का समापन चंद्र दर्शन और अर्घ्य अर्पित करने के बाद ही होता है। चांद देखने के बाद महिलाएं अपने पति के हाथों से जल ग्रहण करती हैं और अपना व्रत तोड़ती हैं। मान्यता है कि करवा चौथ का व्रत करने से पति की लंबी उम्र होती है और उनके जीवन में सुख-समृद्धि आती है।
2024 में करवा चौथ का समय और भद्रा
साल 2024 में करवा चौथ का व्रत 20 अक्टूबर को रखा जाएगा। इस दिन भद्रा सुबह 6 बजकर 25 मिनट से लेकर सुबह 6 बजकर 46 मिनट तक रहेगी। हिंदू धर्म में भद्रा काल को अशुभ माना जाता है, इसलिए पूजा या कोई भी शुभ कार्य भद्रा काल में नहीं किए जाते। करवा चौथ की पूजा भद्रा समाप्त होने के बाद की जाएगी। इसलिए, इस दिन पूजा का शुभ मुहूर्त शाम 5 बजकर 45 मिनट से लेकर शाम 7 बजकर 1 मिनट तक रहेगा।
पूजा विधि और तैयारी
करवा चौथ की पूजा विधि में करवा (मिट्टी या तांबे का पात्र) का विशेष महत्व होता है। महिलाएं करवा चौथ की कथा सुनती हैं और अपने परिवार की सुख-समृद्धि की कामना करती हैं। करवा में पानी भरकर, उस पर एक दीपक जलाकर भगवान गणेश, माता पार्वती और भगवान शिव की पूजा की जाती है। महिलाएं करवा चौथ की कथा सुनने के बाद चंद्रमा के उदय होने का इंतजार करती हैं।चांद देखने के बाद महिलाएं अपने पति के दर्शन करती हैं और उन्हें जल अर्पित करती हैं। इसके बाद ही वे व्रत खोलती हैं और भोजन ग्रहण करती हैं। पूजा और व्रत के दौरान महिलाएं पारंपरिक गीत गाती हैं और व्रत के महत्व को और भी विशेष बनाती हैं।
चंद्रमा का उदय और समय
2024 में करवा चौथ के दिन चांद निकलने का समय शाम 7 बजकर 53 मिनट है। हालांकि, अलग-अलग जगहों पर चांद के उदय का समय थोड़ा भिन्न हो सकता है, इसलिए स्थानीय पंचांग के अनुसार चंद्रमा के उदय का समय देखा जा सकता है। महिलाएं चांद देखने के बाद अपने पति के लंबे और सुखी जीवन की प्रार्थना करती हैं।
निष्कर्ष
करवा चौथ न केवल पति-पत्नी के प्रेम और विश्वास को मजबूत करता है, बल्कि यह पारिवारिक एकता और सांस्कृतिक धरोहर को भी बढ़ावा देता है। इस दिन की पूजा, व्रत और उत्सव जीवन में सुख, समृद्धि और शांति का संदेश देते हैं।
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